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Saturday, March 29, 2014

दुर्गाष्टकम्



कात्यायनि महामायॆ खड्गबाणधनुर्धरॆ ।
खड्गधारिणि चण्डिश्री दुर्गॆ दॆवि नमॊऽस्तु तॆ ॥ १ ॥
वसुदॆवसुतॆ कालि वासुदॆवसहॊदरि ।
वसुन्धराश्रियॆ नन्दॆ दुर्गॆ दॆवि नमॊऽस्तु तॆ  ॥ २ ॥

यॊगनिद्रॆ महानिद्रॆ यॊगमायॆ महॆश्वरि ।
यॊगसिद्धिकरॆ शुद्धॆ दुर्गॆ दॆवि नमॊऽस्तु तॆ ॥ ३ ॥


शङ्खचक्रगदापाणॆ शाङ्‌र्गज्यायतबाहवॆ ।
पीताम्बरधरॆ धन्यॆ दुर्गॆ दॆवि नमॊऽस्तु तॆ ॥ ४ ॥

ऋग्यजुस्सामाथर्वाणश्चतुस्सामन्तलॊकिनि ।
ब्रह्मस्वरूपिणि ब्राह्मी दुर्गॆ दॆवि नमॊऽस्तु तॆ ॥ ५ ॥

वृष्णीनांकुलसंभूतॆ विष्णुनाथसहॊदरि ।
वृष्णिरूपधरॆ धन्यॆ दुर्गॆ दॆवि नमॊऽस्तु तॆ ॥ ६ ॥
             
सर्वज्ञॆ सर्वगॆ शर्वॆ सर्वॆशॆ सर्वसाक्षिणि ।
सर्वामृतजटाभारॆ दुर्गॆ दॆवि नमॊऽस्तु तॆ ॥ ७ ॥

अष्टबाहुमहासत्वॆ अष्टमीनवमिप्रियॆ ।
अट्टहासप्रियॆ भद्रॆ दुर्गॆ दॆवि नमॊऽस्तु तॆ ॥ ८ ॥

दुर्गाष्टकमिदं पुण्यं भक्तितॊ यः पठॆन्नरः ।
सर्वान्कामानवाप्नॊति दुर्गालॊकं स गच्छति ॥ ९ ॥

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