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Thursday, February 27, 2014

जन्मान्तर कृतं पापं व्याधिरूपेण बाधते |
तच्छा न्तिरौषधैर्दानैजपहोम सुरार्चनै  ||
अर्थात पूर्व जन्ममें किया गया पाप कर्म ही    व्याधि के रुपमें  हमारे शरीर में उत्पन्न होकर कष्टकारक होता है तथा औषध , दान,जप , होम तथा देवपूजासे रोग कि शान्ति होती है