जन्मान्तरकृतं पापं व्याधिरूपेण बाधते।
तच्छान्तिरौषधैर्दानैर्जपहोमसुरार्चनै: ॥
अर्थात पूर्व जन्ममें किया गया पापकर्म ही व्याधिके रूपमें हमारे शरीरमें उत्पन्न होकर कष्टकारक होता है तथा अौषध,दान,जप,होम तथा देवपूजासे रोग और बाधा की शान्ति होती है (हारीतसंहिता )
तच्छान्तिरौषधैर्दानैर्जपहोमसुरार्चनै: ॥
अर्थात पूर्व जन्ममें किया गया पापकर्म ही व्याधिके रूपमें हमारे शरीरमें उत्पन्न होकर कष्टकारक होता है तथा अौषध,दान,जप,होम तथा देवपूजासे रोग और बाधा की शान्ति होती है (हारीतसंहिता )