॥श्री गणेशाय नम:॥
। ९ ग्रह मंत्र, दान, जापसंख्या, समिध, तथा अधि-प्रत्यघि ।
(१) ग्रह - सूर्य
अधिदेव - इश्र्वर
प्रत्यधिदेव - अग्नि
समिधा - आंकडो
मंत्र-॥जपाकुसुमसंकाशं
काश्यपेयं महाद्युतिम्
तमोरि सर्वपापघ्नं
प्रणतोस्मि दिवाकर ॥
बीजमंत्र- ॥ॐ घृणिः सूर्याय नम:॥
जपसंख्या- ७०००
कलिकाल- २८०००
दान-लालवस्त्र, घउ, लालफुल, त्रांबु, गुड
सूर्य नु रत्न - माणेक
(२) ग्रह- चंद्र
अधिदेव- उमा
प्रत्यधिदेव- अद्म्भय:
समिधा - खाखरो
मंत्र-॥दधिशंखतुषाराभं
क्षीरोदार्णवसंभवम्
नमामि शशिनं सोमं
शंभोर्मुकटभूषणम् ॥
बीजमंत्र-॥ॐ सों सोमाय नम:॥
जापसंख्या- ११०००
कलिकाल- ४४०००
दान- सफेदवस्त्र, चोखा, सफेदफुल, कांस्यपात्र, साकर
चंद्र नु रत्न- मोती
(३) ग्रह- मंगल
अधिदेव - स्कन्द
प्रत्यधिदेव - पृथ्वी
समिधा - खेर
मंत्र-॥धरणीगर्भसंभूतं
विद्युत्कान्तिसमप्रभम्
कुमारं शक्तिहस्तं च
मंगलं प्रणमाम्यहम् ॥
बीजमंत्र-॥ॐ अं अंगारकाय नम:॥
जापसंख्या- १००००
कलिकाल- ४००००
दान- लालवस्त्र, मसूर नी दाल, करण नु फुल, त्रांबु, गुड
मंगल नु रत्न - परवालु
(४) ग्रह- बुध
अधिदेव- विष्णु
प्रत्यधिदेव- विष्णु
समिधा- अघेडो
मंत्र-॥प्रियंगुकलिकाश्यामं
रुपेणाप्रतिमं बुधम्
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं
तं बुधं प्रणमाम्यहम् ॥
बीजमंत्र-॥ॐ बुं बुधाय नम:॥
जापसंख्या- ४०००
कलिकाल- १६०००
दान- लीलुवस्त्र, मग, सुगंधित पुष्प, कांस्यपात्र, घी
बुध नु रत्न- पन्ना
(५) ग्रह- बृहस्पति
अधिदेव- ब्रह्मा
प्रत्यधिदेव- इन्द्र
समिधा- पीपल
मंत्र-॥देवानां च ऋषीणां च
गुरु कांचनसन्निभम्
बुध्धिभूतं त्रिलोकेशं
तं नमामि बृहस्पतिम् ॥
बीजमंत्र-॥ॐ बृं बृहस्पतये नम:॥
जाप संख्या- १९०००
कलिकाल- ७६०००
दान- पीतवस्त्र, चणादाल, पीलुफुल, सुवर्ण, खांड
बृहस्पति नु रत्न- पुखराज
(६) ग्रह- शुक्र
अधिदेव- इन्द्र
प्रत्यधिदेव- इन्द्राणी
समिधा- उम्बरो
मंत्र-॥हिमकुंदमृणालाभं
दैत्यानां परमं गुरुम्
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं
भार्गवं प्रणमाम्यहम् ॥
बीजमंत्र-॥ॐशुं शुक्राय नम:॥
जाप संख्या- १६०००
कलिकाल- ६४०००
दान- सफेदवस्त्र, चोखा, सफेदफुल, चांदी, साकर
शुक्र नु रत्न- हीरो
(७) ग्रह- शनि
अधिदेव- यम
प्रत्यधिदेव- प्रजापति
समिधा- खीजडो
मंत्र-॥निलांजन समाभासं
रविपुत्रं यमाग्रजम्
छायामार्तण्ड संभूतं
तं नमामि शनिश्र्चरम् ॥
बीजमंत्र-॥ॐ शं शनैश्चराय नम:॥
जपसंख्या- २३०००
कलिकाल- ९२०००
दान-कृष्णवस्त्र, अडद, कृष्णपुष्प, लोखंड, तेल
शनि नु रत्न- निलम
(८) ग्रह- राहु
अधिदेव-काल
प्रत्यधिदेव-सर्प
समिधा- दूर्वा
मंत्र-॥अर्धकायं महावीर्य
चन्द्रादित्यविमर्दनम्
सिंहिकागर्भसंभूतं
तं राहु प्रणामाम्हयम् ॥
बीजमंत्र-॥ॐ रां राहवे नम:॥
जापसंख्या- १८०००
कलिकाल- ७२०००
दान- कृष्णवस्त्र, कृष्णतिल, कृष्णपुष्प, लोखंड, तेल
राहु नु रत्न- गोमेद
(९) ग्रह- केतु
अधिदेव- चित्र्गुप्त
प्रत्यधिदेव- ब्रह्मा
समिधा- दर्भ
मंत्र-॥पलाशपुष्प संकाशं
तारकाग्रह मस्तकम्
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं
तं केतु प्रणमाम्यहम् ॥
बीजमंत्र-॥ॐ केतवे नम:॥
जापसंख्या- १८०००
कलिकाल- ७२०००
दान- धूम्रवर्ण नु वस्त्र, सातधान, श्रीफल, पुष्प, लोखंड
राहु नु रत्न- वैदूर्य(लसणीयु)
९ ग्रह अधि- प्रत्यधि समिध
ग्रह अधि प्रत्यधि समिध
। । । ।
सूर्य ईश्र्वर अग्नि आंकडो
चंद्र उमा अद्भ्य खाखरो
मंगल स्कन्द पृथ्वी खेर
बुध विष्णु विष्णु अघेडो
गुरु ब्रह्मा इन्द्र पीपल
शुक्र इन्द्र इन्द्राणी उम्बरो
शनि यम प्रजापति खीजडो
राहु काल सर्प घ्रोखल
केतु चित्र्गुप्त ब्रह्मा दर्भ
।लोकपाल। ।दिक्पपाल।
१- गणपति १- इन्द्र
२- दुर्गा २- अग्नि
३- वायु ३- यम
४- आकाश ४- नैऋति
५- अश्र्विनौ ५- वरुण
६- वास्तोष्पति ६- वायु
७- क्षेत्रपाल ७- कुबेर
८- इश्र्वर
९- ब्रह्मा
१०- अनंत