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Monday, January 30, 2017

दस महाविद्या

दस महाविद्याओं की अलौकिक शक्ति

1. शक्ति का स्वरूप

शक्ति की उपासना कर सिद्धि को ग्रहण करने के इच्छुक तो बहुत लोग हैं, लेकिन पूरे समर्पण और श्रद्धा के साथ तप कर सिद्धि को प्राप्त करने का साहस सभी के पास नहीं होता। शक्ति के विभिन्न स्वरूपों की आराधना कर उन्हें प्रसन्न करने के लिए अघोरी, साधु और भौतिकवाद से दूर हो चुके लोग भी अपना संपूर्ण जीवन झोंक देते हैं।

2. अघोरपंथ

अघोरपंथ में विभिन्न प्रकार की सिद्धियों का उल्लेख किया गया है, जिन्हें ज्ञान और शक्ति प्राप्त करने के लिए हासिल किया जाता है। प्रमुख रूप से 10 सिद्धियों को जाना गया है, जिनमें से 4 को काली कुल और छ: को श्रीकुल में रखा गया है।

3. तन्मयता की जरूरत

इन सिद्धियों को कोई भी व्यक्ति प्राप्त कर सकता है। इसमें जाति, वर्ण, लिंग, उम्र आदि का कुछ भी लेना-देना नहीं है। अपनी तन्मयता और समर्पण भाव के साथ शक्ति को प्रसन्न कर सिद्धियों को प्राप्त किया जाता है, लेकिन इसके लिए जिस मार्ग पर चलना होता है वह बेहद कठिन है।

4. सिद्धियों को प्राप्त करने की प्रकिया

सिद्धियों को प्राप्त करने की शुरुआत करने से पूर्व व्यक्ति को अपनी देह को शुद्ध करना होता है। पवित्र मंत्रों के जाप के दौरान स्नान कर देह का शुद्धिकरण संपन्न होता है। इसके पश्चात जिस स्थान पर बैठकर पूजा करनी है उस स्थान का भी शोधन होता है। इसके बाद शक्ति के जिस स्वरूप को प्राप्त करने के लिए सिद्धि करनी है, उस स्वरूप का पूरी एकाग्रता और तन्मयता के साथ ध्यान किया जाता है।

5. मुख्य सिद्धियां

चलिए आपको बताते हैं कि मुख्य दस सिद्धियां कौन सी हैं और उन्हें हासिल करने से क्या-क्या प्रभाव पड़ता है।

6. काली

देवी कालिका की काले हकीक की माला से 9,11,21 बार जाप करना चाहिए। कालिका की आराधना असाध्य बीमारी से मुक्ति, दुष्ट आत्माओं या क्रूर ग्रहों से बचाव के लिए की जाती है। इसके अलावा अकाल मृत्यु से बचाव और वाक सिद्धि प्राप्त करने के लिए काली की आराधना की जाती है। काली की आराधना करने का मंत्र है

“ॐ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं स्वाहा:”।

7. तारा

तारा, जिसे श्मशान तारा के नाम से भी जाना जाता है, की सिद्धि जिसे प्राप्त हो जाती है, वह व्यक्ति मां तारा की गोद में एक बच्चे की तरह रहता है। जिसे श्मशान तारा की कृपा प्राप्त हो जाती है उसका जीवन खुशियों से भर जाता है, श्मशान तारा की सिद्धि प्राप्त करने वाले व्यक्ति को वाक सिद्धि भी प्राप्त हो जाती है।

8. शत्रुओं की समाप्ति

इसके अलावा श्मशान तारा की कृपा से उसे तीव्र बुद्धि और रचनात्मकता भी हासिल होती है। श्मशान तारा सिद्धि प्राप्त करने वाला व्यक्ति अपने शत्रुओं को जड़ से खत्म कर सकता है। श्मशान तारा की आराधना करने के लिए मूंगा, स्फटिक या काले हकीक की माला का प्रयोग करना चाहिए। तारा सिद्धि प्राप्त करने का मंत्र है

“ॐ हीं स्त्रीं हुं फट”।

9. त्रिपुर सुंदरी

संसार का कोई भी कार्य संपन्न करने के लिए त्रिपुर सुंदरी की आराधना की जानी चाहिए। जिस कार्य को करने में देवता भी सफल नहीं हो पाते, उसे त्रिपुर सुंदरी संपन्न करती है। त्रिपुर सुंदरी के अलावा इस संसार में ऐसी कोई भी साधना नहीं है जो भोग और मोक्ष एक साथ प्रदान करे। त्रिपुर सुंदरी साधना करने के लिए रुद्राक्ष की माला से दस बार जाप किया जाना चाहिए। त्रिपुर सुंदरी सिद्धि प्राप्त करने का मंत्र है

“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:”।

10. भुवनेश्वरी

सुख में वृद्धि करने और किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति करने के लिए भुवनेश्वरी मां की साधना करनी चाहिए। भुवनेश्वरी मां को प्रसन्न करना बेहद आसान है, वह अपने भक्त से बहुत ही जल्द प्रसन्न हो जाती हैं। भुवनेश्वरी मां की आराधना करने के लिए स्फटिक की माला से कम से कम 11 या 21 बार जाप करना चाहिए। भुवनेश्वरी मां की आराधना करने का मंत्र है

“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नम:”।

11. छिन्नमस्ता

देवी छिन्नमस्ता बहुत ही जल्द शत्रुओं का विनाश कर सकती हैं। इसके अलावा अवाक सिद्धि, रोजगार में अचूक सफलता, नौकरी में पदोन्नति और कोर्ट केस में सफलता भी हासिल होती है। इसके अलावा पति या पत्नी को अपने वश में रखने के लिए भी देवी छिन्नमस्ता की आराधना की जाती है। छिन्नमस्ता देवी की आराधना रुद्राक्ष या स्फटीक की माला से 11 या 20 बार जाप करना चाहिए। देवी को प्रसन्न करने का मंत्र है

“श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट स्वाह”।

12. त्रिपुर भैरवी

किसी भी प्रकार के तांत्रिक समाधान के लिए त्रिपुर भैरवी साधना की जाती है। यह साधना प्रेत आत्माओं के लिए काफी खतरनाक है। इसके अलावा ऐसे व्यक्ति जो आकर्षक जीवनसाथी की ख्वाहिश रखते हैं उनके लिए यह साधना फायदेमंद है। किसी भी बुरे तांत्रिक प्रभाव से मुक्ति और शीघ्र विवाह के लिए भी इस सिद्धि को प्राप्त किया जाता है। मूंगे की माला से त्रिपुर भैरवी की आराधना की जानी चाहिए, इस सिद्धि को प्राप्त करने का मंत्र है

“ॐ ह्रीं भैरवी कलौंह्रीं स्वाहा:”।

13. धूमावती

बुरी नजर और दरिद्रता से मुक्ति, तंत्र-मंत्र, जादू-टोने, भूत-प्रेत के डर से मुक्ति पाने के लिए धूमावती मां की सिद्धि प्राप्त की जाती है। धूमावती देवी, जीवन की हर मुश्किल का समाधान करती है। धूमावती मां की आराधना करने के लिए मोती या काले हकीक की माला से कम से कम नौ बार जाप करना चाहिए। धूमावती मां की आराधना करने का मंत्र है

“ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:”।

14. बगलामुखी

हर प्रकार की समस्या का समाधान और किसी भी परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए बगलामुखी साधना की जाती है। सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए, शत्रुओं का विनाश करने और कोर्ट कचहरी के मसलों में विजय होने के लिए बगलामुखी साधना की जाती है। हल्दी की माला से 8,16 या 21 बार बगलामुखी साधना की जाती है। बगलामुखी साधना का मंत्र है

“ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नम:”।

15. मातंगी

घर-गृहस्थी के मामलों में आने वाली बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए मातंगी आराधना की जाती है। पुत्र प्राप्ति, विवाह में आने वाली परेशानियों के समाधान के लिए मातंगी मां की आराधना की जाती है। मातंगी मां की सिद्धि प्राप्त करने के बाद स्त्री सहयोग जल्दी और आसानी से मिलने लगता है। मातंगी मां की आराधना स्फटिक की माला द्वारा प्रतिदिन 12 बार किया जाना चाहिए। मातंगी आराधना का मंत्र है

“ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी ह्रीं स्वाहा:”।

16. कमला

अखंड धन-दौलत की स्वामिनी देवी कमला की आराधना करने के बाद ही इन्द्र ने अब तक स्वर्ग का शासन संभालकर रखा हुआ है। संसार की सारी खूबसूरती देवी कमला की ही कृपा मानी जाती है। इनकी आराधना करने के लिए कमलगट्टे की माला से कम से कम दस या इक्कीस बार जाप किया जाना चाहिए। देवी कमला की आराधना करने का मंत्र है

“ॐ हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा।