अस्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषण :|
कृप : परशुरामश्च सप्तंते चिरजीविन :||
(पद्म पुराण० ५१ |६-७ )
सप्तेतान संस्मरेनित्यम मार्कण्डेयमथाष्टमम|
जीवेद वर्षशतं साग्रमपमृत्युविवर्जित ||
(आचारेन्दु ,पृ ० २२ )
यह जो नाम हे अस्वथामा, बलि,व्यास ,हनुमान ,विभीषण , कृपाचार्य और परशुराम यह सब चिरंजीव हे अत: इनके नाम लेने से ही आयुष्य की वृधि होती हे| और आचारेन्दु में आया हे| के मार्कडेय जिनको महा मृत्युन्जय मंत्र का जप करने से शिवजी प्रसन्न हुये और मार्कडेय ने शिवजी का मृत्यु न्जय स्तोत्र द्वारा भगवान आशुतोष की स्तुति की (चन्द्र शेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर रक्ष माम, मम किं करिस्यती वे यम :) इस प्रकार की स्तुति करने से शिवजी ने वरदान दिया और मार्कडेयमुनि को आयुष्य बल प्राप्त हुआ अत: उनको भी आयुष्यमान माना गया हे| इस लिए उनका नाम आठवा हे |