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Thursday, December 5, 2013

वसिष्ठ स्मृति
* आचारहिनं  न पुनन्ति वेदा यदप्यधीता:  सह  षड्भिरङ्गै:|
छन्दांश्येनं मृत्युकाले त्यजन्ति नीडं शकुन्ता इव जातपक्षा:||
शिक्षा,कल्प,निरुक्त,छंद,व्याकरण और ज्योतिष -- इन छहो अंगोसहित अध्यन किये हुए वेद भी आचारहीन पुरुषको पवित्र नहीं करते । पंख पैदा होनेपर पक्षी जैसे अपने घोंसलेको छोड़ देता है , ऐसे ही मृत्युसमयमें आचारहीन पुरुषको वेद छोड़ देते है ।  

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