कल एक व्यक्ति ने मुझे पूछा के शिवलिंग पूजा का अधिकार स्त्री ओंको नहीं है यह प्रश्न सभी लोगों को है
इस विषय में शिवपुराण में विद्येश्वर संंहिता में अध्याय २१ में ३९ और ४० में श्लोक में बताया है
ब्राह्मण: क्षत्रियो वैश्य: शूद्रो वा प्रतिलोमज:|
पूजयेत्सततं लिङ्गं तत्तन्मन्त्रेण सादरम् ||
किं बहूक्तेन मुनय: स्त्रिणामपि तथान्यत: |
अधिकारोस्ति सर्वेषां शिवलिङ्गार्चने द्विजा:||
(शि / पु / वि / २१ : ३९/४०/)
अर्थात स्त्री-शुद्रोको तो अधिकार है ही , शिवपुराण तो कहता है की प्रतिलोम जन्मे हुए वर्णसंकरको भी शिवलिंग पूजाका अधिकार है द्विजो के लिये वैदिक पद्धतिसे ही शिवलिंगकी पूजा करना श्रेष्ठ है किन्तु अन्य लोगोंके लिये वैदिकमार्गसे पूजा करनेकी संमति नहीं है जो नहीं करना है वह वैदिक मंत्रोंसे पूजा करनेका निषेध है अतः स्त्री और द्विजेतरको वैदिक मंत्रोंको छोड़कर अन्य स्तोत्रादिके पाठ से शिवपूजा करनी चाहिए ।
इस विषय में शिवपुराण में विद्येश्वर संंहिता में अध्याय २१ में ३९ और ४० में श्लोक में बताया है
ब्राह्मण: क्षत्रियो वैश्य: शूद्रो वा प्रतिलोमज:|
पूजयेत्सततं लिङ्गं तत्तन्मन्त्रेण सादरम् ||
किं बहूक्तेन मुनय: स्त्रिणामपि तथान्यत: |
अधिकारोस्ति सर्वेषां शिवलिङ्गार्चने द्विजा:||
(शि / पु / वि / २१ : ३९/४०/)
अर्थात स्त्री-शुद्रोको तो अधिकार है ही , शिवपुराण तो कहता है की प्रतिलोम जन्मे हुए वर्णसंकरको भी शिवलिंग पूजाका अधिकार है द्विजो के लिये वैदिक पद्धतिसे ही शिवलिंगकी पूजा करना श्रेष्ठ है किन्तु अन्य लोगोंके लिये वैदिकमार्गसे पूजा करनेकी संमति नहीं है जो नहीं करना है वह वैदिक मंत्रोंसे पूजा करनेका निषेध है अतः स्त्री और द्विजेतरको वैदिक मंत्रोंको छोड़कर अन्य स्तोत्रादिके पाठ से शिवपूजा करनी चाहिए ।
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