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Wednesday, July 13, 2011

गुरु क्रुपा हि केवल

यस्य देवे परा भक्तिर्यथा देवे तथा गुरो ।

तस्येतेकथिता ह्यर्थाः प्रकाशन्ते महात्मनः॥
                            (श्वेताश्वतरोपनिशत ६.२३)

जिस की परमेश्वर मे अत्यन्त भक्ति हे और जेसी परमेश्वर मे हे वेसी ही गुरुमे भी हे । उस महात्मा के प्रति कहनेपर ही इन तत्वो का प्रकाश होता हे , उस महात्मा के प्रति ही ये प्रकाशित होते हे ॥



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