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Thursday, February 27, 2014

जन्मान्तर कृतं पापं व्याधिरूपेण बाधते |
तच्छा न्तिरौषधैर्दानैजपहोम सुरार्चनै  ||
अर्थात पूर्व जन्ममें किया गया पाप कर्म ही    व्याधि के रुपमें  हमारे शरीर में उत्पन्न होकर कष्टकारक होता है तथा औषध , दान,जप , होम तथा देवपूजासे रोग कि शान्ति होती है 

Saturday, February 15, 2014

लक्ष्मी प्राप्तिके लिये

लक्ष्मी प्राप्तिके लिये
ॐ नमो विघ्नराजाय सर्व सौख्य प्रदायिने |
दुष्टारिष्टविनाशाय      पराय     परमात्मने ||
लम्बोदरं  महावीर्य    नागयज्ञोपशोभितम् | 
अर्धचन्द्रधरं    देवं   विघ्नव्युहविनाशनम् ||
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रुं ह्रें ह्रों ह्रं  हेरम्बाय   नमो   नमः | 
सर्वसिद्धिप्रदोसि  त्वं   सिद्धिबुद्धिप्रदो  भव ||
चिन्तितार्थप्रदस्तवं  हि सततं  मोदकप्रिय:|
सिन्दूरारुणवस्त्रेश्च     पूजितो     वरदायक: ||
इदं गणपतिस्तोत्रं यः पठेद् भक्तिमान् नरः |
तस्य देहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मीर्न मुन्चति ||

Wednesday, February 12, 2014

शिव रुद्राष्टक

  नमामिशमीशान निर्वाण रूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं॥१॥
निजं निर्गुणं निर्किल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजेहं॥२॥
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं। गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशं॥३॥
करालं महाकाल कालं कृपालं। गुणागार संसारपारं नतोहं॥४॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गंभीरं। मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरं॥५॥
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा। लसद्भालबालेंदु कंठे भुजंगा॥६॥
चलत्कुंडलं भ्रू सुनेत्रं विशालं। प्रसन्नाननं नीलकंठ दयालं॥७॥
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं। प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि॥८॥
प्रचंडं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं। अखंडं अजं भानुकोटिप्रकाशं॥९॥
त्रय:शूल निर्मूलनं शूलपाणिं। भजेहं भवानीपतिं भावगम्यं॥१०॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी। सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी॥११॥
चिदानंदसंदोह मोहपहारी। प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥१२॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं। भजंतीह लोके परे वा नराणां॥१३॥
न तावत्सुखं शांति सन्तापनाशं। प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं॥१४॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजां। नतोहं सदा सर्वदा शंभु तुभ्यं॥१५॥
जरा जन्म दु:खौघ तातप्यमानं। प्रभो पाहि आपन्नमाशीश शंभो॥१६॥

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये।

ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति॥