श्री हनुमानजी की स्तुतिसे संबंधित बारह नाम हे, जिनके द्वारा उनकी स्तुति की जाती हे|
हनुमान न्जनी सुनुर्वायुपुत्रो महाबल : |
रामेष्ट : फाल्गुन सख : पिन्गाक्षोमितविक्रम ||
उदधि क्रमणश्चेव सीताशोकविनाशन: |
लक्ष्मणप्राणदाता च दश ग्रीवस्य दर्पहा ||
एवं द्वादश नामानि कपिन्द्रस्य महात्मन : |
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत ||
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत् |
राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन ||
(आनन्दरामायण ८ |१३ | ८ - ११ )
उनका एक नाम तो हनुमान हे ही , दूसरा अन्जनीसुनु, तीसरा वायु पुत्र , चोथा महाबल, पांचवा रामेष्ट (रामजी केप्रिय ) छठा फाल्गुनसख (अर्जुन के मित्र ), सातवा पिंगाक्ष (भूरे नेत्र वाले ), आठवा अमितविक्रम , नवा उदधिक्रमण ( समुद्र को अति क्रमण करने वाले ), दसवा सीता शोक विनाशन (सीता जी के शोक को नाश करने वाले ), ग्यारवा लक्ष्मण प्राण दाता (लक्ष्मण को संजीवनी बूटी द्वारा जीवित करनेवाले ), और बारहवा नाम हें दशग्रीवदर्पहा (रावण के घमंड को दूर करनेवाले ) | ये बारह नाम श्री हनुमानजी के गुणों के द्योतक हें| श्री राम और सीता केप्रति जो सेवा - कार्य उनके द्वारा हुए हे उन सबकी और इन्ही नामोद्वारा संकेत हो जाते हे और यही श्री हनुमानस्तुति हे | इस स्तुति से मिलने वाले अनेको लाभ में सेना नायक श्री हनुमान के इन बारह नामो का जो रात्रि मेंसोने के समय या प्रात :काल उठनेपर अथवा यात्रा रम्भके समय पाठ करता हे, उस व्यक्ति के समस्त भय दूर होजाते हे | यह व्यक्ति युद्ध के मेदानमें, राज -दरबार में या भीषण संकट जहा - कही भी हो, उसे कोई भय नहीं होता | इस लिए श्री हनुमानको संकटमोचन भी कहा जाता हे |
जयश्रीराम
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