यस्य देवे परा भक्तिर्यथा देवे तथा गुरो ।
तस्येतेकथिता ह्यर्थाः प्रकाशन्ते महात्मनः॥
(श्वेताश्वतरोपनिशत ६.२३)
जिस की परमेश्वर मे अत्यन्त भक्ति हे और जेसी परमेश्वर मे हे वेसी ही गुरुमे भी हे । उस महात्मा के प्रति कहनेपर ही इन तत्वो का प्रकाश होता हे , उस महात्मा के प्रति ही ये प्रकाशित होते हे ॥
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