मंजुल मंगल मोदमय मूरति मारुत पुत |
सकल सिद्धि कर कमल तल सुमिरत रघुबर दूत ||
धीर बीर रघुबीर प्रिय सुमिरि समीर कुमारु |
अगम सुगम सब काज करू करतल सिद्धि बिचारु ||
(दोहावली २२९-३० )
श्री रामजीके दूत वायुपुत्र श्री हनुमानजी मनोहर मंगल और आनंद की मूर्ति हे | उनका स्मरण करते ही समस्त सिद्धिया करतलगत (सुलभ ) हो जाती हे |
धीर वीर श्री रघुवीरके प्यारे पवन कुमार श्री हनुमानजीका स्मरण करके चाहे जेसे दुर्लभ या सुलभ सब काम करो, निश्चय रखो कि उनकी सफलता तुम्हारे हाथमे ही रखी हे |
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